इस्लाम में कयामत की रात का जिक्र उस मंजर से किया गया है, जिसके बाद दुनिया में कुछ भी शेष ऩहीं बचता है। दुनिया का सबसे बड़ा इस्लामिक देश इंडोनेशिया ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से होने वाले विनाश को इसी तरह के मंजर के रूप में जोड़ कर देख रहा है। हाल ही में इंडोनेशिया में लोगों की भीड़ एक भव्य आधुनिक इमारत में जुटी थी। हजारों पुरुष टोपी पहने हुए थे और महिलाएं बुरके में कंधे से कंधा मिलाकर बैठी थीं। इस सभा में उनके सबसे बड़े इस्लामिक नेता ने अपनी बात रखी और साथ ही साथ प्रलय को लेकर कड़ी चेतावनी दी। इस्तिकलाल मस्जिद के इमाम नसरुद्दीन उमर ने कहा, “मनुष्य के रूप में हमारी सबसे बड़ी कमी यह रही है कि हम पृथ्वी को महज एक वस्तु मानते रहे हैं। हम प्रकृति के प्रति जितने लालची होंगे, प्रलय का दिन उतनी ही जल्दी आएगा।”

बताते चलें कि इंडोनेशिया दुनिया का सबसे सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश है। यह दुनिया को बड़े पैमाने पर कोयला और पाम ऑयल निर्यात करता है। अब ग्लोबल वार्मिंग का इंडोनेशिया पर काफी इसका बड़ा असर पड़ा है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बढ़ते समुद्र के स्तर से इंडोनेशिया के कई शहर जलमग्न होने के कगार पर हैं। पर्यावरण चुनौतियों का सामना कर रहे 27 करोड़ से अधिक आबादी वाले इंडोनेशिया ने धार्मिक स्तर पर ग्लोबल वार्मिंग से बचने के लिए ‘ग्रीन इस्लाम’ का झंडा बुलंद किया है। इंडोनेशिया में ऐसे इस्लाम की मांग बढ़ रही है, जो पर्यावरण के प्रति जागरूक है।

इंडोनेशिया के बड़े धार्मिक ने जोर देकर कहा कि यदि हम धरती प्रति अपने उत्तरदायित्व के प्रति सजग रहेंगे तो ग्लोबल वार्मिंग जैसी परिस्थितियों से निपट सकते हैं। उन्होने कहा, “रमजान के दौरान रोजा रखने की तरह यह हर मुसलमान का फर्ज बनता है कि वे पृथ्वी के संरक्षक बने। नमाज अदा करने की तरह है पेड़ लगाने की आदत होनी चाहिए।”

इंडोनेशिया में इस्तिकलाल मस्जिद के प्रमुख नसरुद्दीन का उपदेश में पर्यावरण एक केंद्रीय विषय रहा। उन्होंने कहा कि जिस नदी पर मस्जिद स्थित है, उस नदी में फैले कूड़े-कचरे को साफ करने के प्रति भी लोगों का ध्यान जाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि इंडोनेशिया का इस्तिकलाल मस्जिद दक्षिण पूर्व एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद में से एक है। इसे सौर पैनलों, धीमी गति से बहने वाले नल और एक वाटर रीसायकल सिस्टम से सुसज्जित किया गया है। इस मस्जिद को विश्व बैंक से तारीफ मिल चुकी है। इस्तिकलाल मस्जिद, इस तरह की ग्रीन बिल्डिंग की प्रशंसा जीतने वाला अपनी तरह का पहला उपासना स्थल भी है। जाहिर है इंडोनेशिया की तरफ से शुरू की गई इस मुहीम का दुनिया पर असर पड़ेगा। बाकी देश भी इंडोनेशिया से प्रेरणा लेकर धरती को बचाने के प्रति आगे आएंगे।

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