हैदराबाद: तेलंगाना उच्च न्यायालय ने गाचीबोवली पुलिस द्वारा प्रस्तुत अंतिम रिपोर्ट के आधार पर रोहित वेमुला की आत्महत्या मामले की जांच शुक्रवार को पूरी कर ली। पुलिस ने दावा किया कि रोहित वेमुला का जाति प्रमाणपत्र जाली था और सबूतों के अभाव में मामला बंद कर दिया गया। उन्होंने सिकंदराबाद के तत्कालीन सांसद बंडारू दत्तात्रेय, एमएलसी एन. रामचंदर राव, हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुलपति अप्पा राव, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेताओं को दोषमुक्त करते हुए आरोपियों को क्लीन चिट दे दी।
पुलिस के स्पष्टीकरण के अनुसार उनकी जांच में सामने आया कि रोहित वेमुला ने अपने जाति प्रमाण पत्र से जुड़े मुद्दों पर आत्महत्या की।
पीएचडी स्कॉलर 26 वर्षीय रोहित वेमुला की 17 जनवरी, 2016 को हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के हॉस्टल के कमरे में आत्महत्या से दुखद मौत हो गई थी। उनकी मौत के बाद दिल्ली समेत कैंपस और उसके बाहर व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए, जहां मोदी सरकार पर दलित विरोधी होने का आरोप लगा और सरकार को इसका सामना करना पड़ा था।
मामले को बंद करने की प्रतिक्रिया में हैदराबाद विश्वविद्यालय (यूओएच) के छात्र संगठनों ने राज्य पुलिस की रिपोर्ट की निंदा करते हुए शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने मामले के तथ्यों की गहन जांच किए बिना सभी आरोपियों को बरी कर दिया।