अक्सर देखा जाता है कि कई कड़क IAS और IPS अधिकारियों की राजनेताओं से नहीं बनती है लेकिन जब वे रिटायर हो जाते हैं या रिटायर होने वाले होते हैं, तब वही अधिकारी उन्हीं नेताओं के इर्द-गिर्द चक्कर लगाने लगते हैं, ताकि नौकरी के बाद राजनीति में प्रवेश कर जाएं और माननीय बनकर सदन में बैठ जाएं। यह परिपाटी पुरानी रही है लेकिन हाल के वर्षों में इसमें तेजी से इजाफा हुआ है।

मौजूदा लोकसभा चुनाव में भी बिहार में करीब दर्जन भर पूर्व IAS -IPS अधिकारी इसी तरह की जुगाड़ में लगे रहे। ताकि उन्हें राज्य की चार बड़ी सियासी पार्टियों राजद, जेडीयू, भाजपा और कांग्रेस से टिकट मिल जाए और वे चुनाव लड़कर सांसद बन जाएं लेकिन अमूमन सभी दलों ने उनकी दाल गलने नहीं दी। इनमें कुछ तो ऐसे हैं जो स्वैच्छिक सेवानिवृति लेकर राजनीति करने आए हैं।

राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा है कि बिहार के पूर्व डीजीपी आशीष रंजन सिन्हा राजद के टिकट पर नालन्दा संसदीय सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन यह सीट सीपीआईएमएल के खाते में चली गई और वहां से संदीप सौरभ को महागठबंधन का उम्मीदवार बनाया गया है। नालंदा में सातवें चरण में 1 जून को मतदान होना है।

इसी तरह, तमिलनाडु के DGP रहे बी के रवि कांग्रेस के टिकट पर समस्तीपुर सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे। उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृति भी ली थी। लंबे समय तक रेस में बने रहे लेकिन आखिरकार नीतीश सरकार में मंत्री महेश्वर हजारी के बेटे सन्नी हजारी ने बाजी मार ली। उधर एनडीए की तरफ से इस सीट पर लोजपा उम्मीदवार के तौर पर नीतीश सरकार के ही दूसरे दलित मंत्री अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चुनावी ताल ठोक रही हैं।

इसी तरह पूर्व आईएएस अधिकारी और केंद्र सरकार में पेट्रोलियम सेक्रेटरी रहे आर एस पांडेय भाजपा के टिकट पर वाल्मीकि नगर लोक सभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन उन्हें भी निराशा हाथ लगी। एनडीए ने इस सीट पर जेडीयू के सुनील कुमार को उतारा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी और चहेते पूर्व आईएएस अफसर के पी रमैया जद यू के टिकट पर सासाराम सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन वहां से भाजपा ने शिवेश राम को मैदान में उतारा है। पूर्व आईएएस पंचम लाल भी इसी सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन दोनों पूर्व IAS अफसरों को मायूसी हाथ लगी है।

तमिलनाडु कैडर के ही रिटायर्ड DGP करुणासागर जहानाबाद संसदीय सीट से राजद कोटे से चुनाव लड़ना चाह रहे थे लेकिन राजद ने वहां अपने पुराने धुरंधर सुरेंद्र प्रसाद को मौदान में उतारा है, जिनका मुकाबला जेडीयू के मौजूदा सांसद चंदेश्वर चंद्रवंशी से होना है। असम कैडर के तेज तर्रार IPS अधिकारी आनंद मिश्र BJP की टिकट से बक्सर लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन भाजपा ने वहां से केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे का टिकट काटकर मिथिलेश तिवारी को उम्मीदवार बनाया है।

2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में भी बिहार के तत्कालीन डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने बक्सर सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए VRS ले लिया था लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिल सका था। हालांकि, बाद में वह VRS रद्द कराने में सफल रहे और फिर से उन्होंने वर्दी पहन ली थी। पिछले ही विधान सभा चुनाव में पूर्व डीजीपी अशोक गुप्ता राजद के टिकट पर दानापुर सीट, पूर्व एसपी श्रीधर मंडल जद यू की टिकट पर बांका विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन दोनों को निराशा हाथ लगी थी।

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