जम्मू कश्मीर में स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण सुनिश्चित करने के प्रावधान वाला बिल मंगलवार को लोकसभा में ध्वनिमत से पारित हो गया। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय द्वारा विधेयक पर चर्चा के जवाब के बाद सदन ने ‘जम्मू कश्मीर स्थानीय निकाय कानून (संशोधन) विधेयक, 2024’ को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इस विधेयक के जरिए जम्मू कश्मीर पंचायती राज अधिनियम, 1989; जम्मू कश्मीर निगम अधिनियम, 2000 और जम्मू कश्मीर नगर निगम अधिनियम, 2000 में संशोधन का प्रस्ताव है।
फिलहाल, जम्मू-कश्मीर में पंचायतों और नगर पालिकाओं में ओबीसी आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। विधेयक का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में पंचायतों और नगर पालिकाओं में ओबीसी समुदाय को आरक्षण देना और संविधान के प्रावधानों के साथ केंद्र शासित प्रदेश के स्थानीय निकाय कानूनों में स्थिरता लाना है।
विधेयक पर चर्चा के दौरान, विपक्ष ने सरकार से विधानसभा चुनाव कराने के लिए एक समय सीमा तय करने की मांग की। एनसीपी की सुप्रिया सुले ने कहा, “हम विधानसभा चुनाव कराने और जम्मू-कश्मीर के लोगों को राज्य का दर्जा देने पर सरकार से अस्पष्ट जवाब नहीं चाहते… सरकार कम से कम इस प्रक्रिया को आयोजित करने के लिए एक अस्थायी समयसीमा तय करे।”
राय ने चर्चा पर जवाब के दौरान विपक्ष के उन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया कि जम्मू कश्मीर की जनता त्राहिमाम कर रही है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में ”जहां जाइएगा, (प्रधानमंत्री नरेन्द्र) मोदी-मोदी के नारे और मोदी द्वारा किया जा रहा विकास” नजर आएगा।
राय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासनकाल में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए हटाये जाने के बाद वहां महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं तथा शांति, सुरक्षा और विकास सहित सामाजिक एवं आर्थिक आयामों में सुधार देखे गए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में सिंचाई परियोजना, कृषि, पर्यटन आदि क्षेत्रों में बेहतरीन विकास हुआ है तथा सामाजिक कल्याण के लिए कार्य हुआ है।
राय ने कहा कि मोदी सरकार के प्रयासों का ही परिणाम है कि जम्मू कश्मीर में हिंसा, पत्थरबाजी, हत्या एवं अन्य आतंकवादी घटनाओं में गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोगों ने मोदी सरकार पर भरोसा किया है। उन्होंने कहा कि श्रीनगर के लाल चौक पर मुहर्रम के अवसर पर पहली बार जुलूस निकाला गया, और शारदा मंदिर में दिवाली का मेला आयोजित किया गया है।
राय ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य स्थानीय निकाय चुनावों में निष्पक्षता और समावेशिता के सिद्धांतों को कायम करना है। इससे पहले विभिन्न विपक्षी दलों ने जम्मू कश्मीर में पंचायत निकाय के चुनाव कराये जाने के साथ-साथ विधानसभा चुनाव कराने की भी पुरजोर मांग की। बाद में सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को मंजूरी दे दी।
मंगलवार को ही लोकसभा ने जम्मू-कश्मीर में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से संबंधित दो विधेयकों को भी मंजूरी दी।  सदन ने विधेयकों पर चर्चा और सामाजिक न्याय मंत्री वीरेंद्र कुमार तथा जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा के जवाब के बाद ‘संविधान (जम्मू-कश्मीर) अनुसूचित जातियां आदेश (संशोधन) विधेयक, 2023’ और ‘संविधान (जम्मू-कश्मीर) अनुसूचित जनजातियां आदेश (संशोधन) विधेयक, 2023’ को मंजूरी दी।
‘संविधान (जम्मू-कश्मीर) अनुसूचित जातियां आदेश (संशोधन) विधेयक, 2023’ में वाल्मीकि समुदाय को चूड़ा, बाल्मीकि समुदाय के समानार्थी के रूप में जोड़ने का प्रावधान है। ‘संविधान (जम्मू-कश्मीर) अनुसूचित जनजातियां आदेश (संशोधन) विधेयक, 2023’ में जम्मू कश्मीर में अनुसूचित जनजातियों की सूची में चार समुदायों  गड्डा ब्राह्मण, कोली, पडारी कबीला और पहाड़ी को जोड़ने का प्रावधान है।
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