नई दिल्ली: मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (MRM) ने बांग्लादेश में हिन्दू, बौद्ध, और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर हो रहे हमलों पर गहरी चिंता जताई है। MRM के अनुसार, इन हमलों के पीछे इस्लामी कट्टरपंथियों की एक गहरी साजिश है, जो आरक्षण के बहाने से हिन्दुओं का नरसंहार और उनकी संपत्ति पर कब्जा जमाने की कोशिश कर रहे हैं।

सुनियोजित साजिश का पर्दाफाश
मंच के राष्ट्रीय संयोजक शाहिद सईद ने इस विषय पर बोलते हुए कहा कि बांग्लादेश में करीब 1.3 करोड़ हिन्दुओं की जान-माल और इज्जत खतरे में है। बांग्लादेश की आजादी के समय हिन्दुओं की आबादी 29 प्रतिशत थी, लेकिन अब यह केवल 9 प्रतिशत से भी कम रह गई है। शाहिद सईद ने चेतावनी दी कि बांग्लादेश को पाकिस्तान की राह पर नहीं जाने देना चाहिए, और इसे रोकने के लिए कठोर कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि बांग्लादेश में आरक्षण के विरोध का आंदोलन केवल एक बहाना था। आरक्षण समाप्त होने के बावजूद, बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हमले जारी हैं। उनके घरों, दुकानों, और मंदिरों को निशाना बनाया जा रहा है, जो यह दर्शाता है कि यह हिन्दुओं के खिलाफ सुनियोजित मुहिम का हिस्सा है।

शाहिद सईद ने विशेष रूप से नए अंतरिम सरकार के गठन का उल्लेख किया, जिसमें नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि यूनुस की अंतरिम सरकार को इन हालातों से निपटने के लिए प्रभावी कदम उठाने होंगे और यह सुनिश्चित करना होगा कि हिन्दू समुदाय पर हो रहे हमले बंद हों। सईद ने कहा कि अगर बांग्लादेश में स्थिरता बहाल नहीं होती, तो यह देश पाकिस्तान के रास्ते पर चला जाएगा, जिससे पूरे क्षेत्र की शांति और सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।

CAA का महत्व और उसकी जरूरत
शुक्रवार को नई दिल्ली में आयोजित एक आपातकालीन बैठक में राष्ट्रीय संयोजक मोहम्मद अफजाल ने CAA (नागरिकता संशोधन अधिनियम) कानून के महत्व पर जोर दिया। बैठक में शामिल सदस्य इस बात पर सहमत थे कि अगर CAA कानून पास हो गया होता, तो भारत सरकार के पास बांग्लादेश जैसी आपात स्थितियों से निपटने के लिए एक प्रभावी उपाय होता। अफजाल ने कहा कि इस कानून का विरोध करने वाले लोगों ने असंवैधानिक, अमानवीय, और अन्यायपूर्ण कार्य किया है। उन्होंने कहा कि अगर यह कानून पास हो गया होता, तो बांग्लादेश के मौजूदा हालात से निपटना और वहां के अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना भारत के लिए आसान होता। उन्होंने इस कानून का विरोध करने वालों की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि उनके इस विरोध ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा खतरे में डाल दी है।

हसीना के हटने के बाद की अस्थिरता
MRM के एक अन्य राष्ट्रीय संयोजक प्रोफेसर शाहिद अख्तर ने कहा कि बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के हटने के बाद आरक्षण के विरोध में उठे आंदोलन के पीछे गहरी साजिश है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, चीन, और बांग्लादेश के कट्टरपंथी इस स्थिति का फायदा उठाकर हिन्दुओं पर अत्याचार कर रहे हैं। प्रोफेसर अख्तर ने कहा कि शेख हसीना की सरकार ने हमेशा भारत के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखने की कोशिश की थी, और उन्होंने चरमपंथियों के कई ठिकानों को नष्ट भी किया था। लेकिन अब जब हसीना सत्ता में नहीं हैं, तो स्थिति तेजी से बिगड़ रही है, और हिन्दुओं पर अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं।

धार्मिक कट्टरता का विरोध
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक सैय्यद रज़ा हुसैन रिजवी ने बांग्लादेश में हो रहे हिंसक घटनाओं की घोर निंदा की। उन्होंने कहा कि इस्लाम शांति, अमन, और भाईचारे का धर्म है, लेकिन इस तरह की घटनाओं ने इस धर्म को बदनाम कर दिया है। रिजवी ने कहा कि इस प्रकार से अन्य धर्मों के पूजास्थलों पर हमले, हत्याएं, और बलात्कार जैसे घिनौने कृत्य ने इस्लाम को एक हिंसक धर्म के रूप में प्रस्तुत किया है, जो बिल्कुल अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच इस कृत्य की घोर निंदा करता है और इस्लाम के नाम पर की जा रही हिंसा को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति और भारत की भूमिका
MRM के राष्ट्रीय संयोजक अबु बकर नकवी ने कहा कि बांग्लादेश में हालात तेजी से खराब हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिन्दुओं के घरों और जमीनों पर कब्जा करने और उन्हें जबरन देश छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। नकवी ने कहा कि बांग्लादेश की सरकार इन हमलों को रोकने में पूरी तरह से असफल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत इन घटनाओं से चिंतित है, और भारत सरकार को जल्द से जल्द सही कूटनीतिक रणनीति अपनाकर बांग्लादेश में शांति बहाल करने के लिए कदम उठाने चाहिए।

MRM की राष्ट्रीय संयोजक डॉक्टर शालिनी अली ने कहा कि भारत सरकार लगातार बांग्लादेश के अधिकारियों के संपर्क में है, लेकिन वहां कानून व्यवस्था की हालत बेहद खराब है। उन्होंने कहा कि अब यह जरूरी हो गया है कि एक सशक्त कूटनीतिक और प्रशासनिक कदम उठाकर बांग्लादेश में शांति स्थापित की जाए और दोषियों को सजा दी जाए।

बैठक में शामिल प्रमुख सदस्य
इस आपात बैठक में MRM के कई प्रमुख सदस्य शामिल हुए। इनमें मोहम्मद अफजाल, प्रोफेसर शाहिद अख्तर, अबू बकर नकवी, एसके मुद्दीन, सैयद रजा हुसैन रिजवी, डॉक्टर शालिनी अली, गिरीश जुयाल, विराग पचपोर, और 60 अन्य प्रमुख सदस्य मौजूद थे। सभी ने मिलकर बांग्लादेश में हो रही घटनाओं की कड़ी निंदा की और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की।

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