नई दिल्ली:  सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश और देश के होने वाले अगले मुख्य न्यायाधीश (Next CJI) जस्टिस संजीव खन्ना ने आप नेता और दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन की याचिका पर सुनवाई करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि इससे मेरे बेटे का कनेक्शन जुड़ा है। दरअसल, सत्येंद्र जैन ने विवेकानंद इन्स्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज के गवर्निंग काउंसिल के चेयरमैन डॉ. एससी वत्स के खिलाफ मुकदमा दायर किया है, जिसकी सुनवाई आज जस्टिस खन्ना की बेंच में होनी थी।

सोमवार, 13 मई को जैसे ही मामला जस्टिस खन्ना के पास पहुंचा उन्होंने यह कहते हुए उस केस से खुद को अलग कर लिया कि वहां (विवेकानंद इन्स्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज) उनका बेटा पढ़ता था। जस्टिस खन्ना ने कहा, “इस याचिका पर मैं सुनवाई नहीं कर सकता, इसे दूसरी पीठ में भेजना होगा… मेरा बेटा उस कॉलेज में पढ़ता है।” इसके बाद उस मामले को ग्रीष्मावकाश के बाद 8 जुलाई से शुरू होने वाले सप्ताह में सूचीबद्ध किया गया है।

सत्येंद्र जैन और एससी वत्स के बीच सियासी लड़ाई 2020 से जारी है। सत्येंद्र जैन 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में शकूर बस्ती से निर्वाचित हुए थे। उन्होंने एससी वत्स को हराया था, जो भाजपा के उम्मीदवार थे। एससी वत्स ने जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार और आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाया था और हाई कोर्ट में भी मुकदमा दायर किया था।

वत्स ने ये भी आरोप लगाया था कि जैन ने सहायक चुनाव अधिकारी से भी अनुचित मदद ली थी। बाद में वत्स द्वारा उठाई गई आपत्तियों को दिल्ली हाई कोर्ट के संयुक्त रजिस्ट्रार ने बरकरार रखा। इसके खिलाफ सत्येन्द्र जैन ने चैम्बर में अपील दायर की। हाई कोर्ट की एकल पीठ ने मामले में वत्स के पक्ष में फैसला सुनाया। बाद में इसी मामले में सत्येंद्र जैन ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसकी सुनवाई जस्टिस खन्ना की पीठ में होनी थी।

बता दें कि जस्टिस संजीव खन्ना मौजूदा मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के रिटायरमेंट के बाद 11 नवंबर, 2024 को देश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पद ग्रहण करेंगे। हालांकि उनका कार्यकाल बहुत छोटा होगा। वह 13 मई, 2025 तक इस पद पर रहेंगे। यानी उनका कार्यकाल 6 महीने का ही होगा। जस्टिस खन्ना को जनवरी 2019 में दिल्ली हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया था।

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