नई दिल्ली:  दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली के शिक्षा निदेशालय (डीओई) के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें सरकार द्वारा भूमि आवंटित एवं गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूलों को फीस बढ़ाने के लिए उसकी पूर्व अनुमति लेने का निर्देश दिया गया था। जस्टिस सी. हरि शंकर ने ‘एक्शन कमेटी अनएडेड रिकॉग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल’ की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए कहा है कि फैसला “आपत्तिजनक” है तथा इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। याचिका में 27 मार्च के डीओई के आदेश को चुनौती दी गई है।

अदालत ने कहा, “जवाबी हलफनामा, यदि कोई हो, चार सप्ताह के भीतर दाखिल किया जाए… सुनवाई की अगली तारीख तक, डीओई के 27 मार्च 2024 के विवादित परिपत्र के क्रियान्वयन पर रोक रहेगी।”

डीओई द्वारा जारी 27 मार्च 2024 के आदेश में कहा गया है कि यदि स्कूल द्वारा कोई प्रस्ताव पेश नहीं किया जाता है, तो शुल्क में वृद्धि नहीं की जाएगी और इस संबंध में किसी भी शिकायत को गंभीरता से लिया जाएगा तथा स्कूल वैधानिक प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई के लिए उत्तरदायी होगा।

अदालत ने कहा कि विवादित आदेश ‘एक्शन कमेटी अनएडेड रिकॉग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल’ की एक अन्य याचिका पर विचार करते समय उसके द्वारा निर्धारित कानून के “विपरीत” है।

जस्टिस सी. हरि शंकर ने कहा, “मैं इस स्तर पर, कुछ हद तक अप्रिय टिप्पणी करने के लिए बाध्य हूं। सिद्धांत यह है कि निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को अपनी फीस बढ़ाने से पहले पूर्व मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं है, जब तक कि वे कैपिटेशन फीस लेकर मुनाफाखोरी या शिक्षा के व्यावसायीकरण में शामिल नहीं होते हैं…।’’ इस मामले में अगली सुनवाई 31 जुलाई को होगी।

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