केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ हल्ला बोल रहे किसानों ने 13 मार्च को दिल्ली चलो का नारा दिया है। बड़ी संख्याी में किसान पंजाब और हरियाणा से दिल्ली कूच कर गए हैं लेकिन हरियाणा प्रशासन ने राष्ट्रीय राजधानी की सीमा से पहले फतेहाबाद और टोहना के पास कुछ स्थानों पर सड़कों पर सीमेंट से बने अवरोधक और कीलें लगवा दी हैं और सीमा सील कर दी है, ताकि किसान आगे ना बढ़ सकें। इससे जहां किसान भड़क उठे हैं, वहीं कांग्रेस ने भी इस कदम की आलोचना की है।

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने किसानों के प्रस्तावित ‘दिल्ली चलो’ मार्च से पहले कुछ स्पथानों पर सड़कों पर कीलें लगाने और सीमेंट से बने अवरोधक लगाने की खबरों को लेकर रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने एक वीडियो सोशल मीडिया मंच एक्स पर साझा करते हुए सवाल किया कि किसानों के साथ इस तरह का व्यवहार क्यों किया जा रहा है।

वाड्रा ने पोस्ट किया, ”किसानों के रास्ते में कील-कांटे बिछाना अमृतकाल है या अन्यायकाल? इसी असंवेदनशील एवं किसान विरोधी रवैये ने 750 किसानों की जान ली थी। किसानों के खिलाफ काम करना, फिर उनको आवाज भी न उठाने देना – कैसी सरकार का लक्षण है?”

उन्होंने कहा, ”किसानों से किया वादा पूरा नहीं किया- न एमएसपी का कानून बनाया, न किसानों की आय दोगुनी हुई – फिर किसान, देश की सरकार के पास नहीं आएंगे तो कहां जाएंगे?” कांग्रेस नेता ने पोस्ट में कहा, ”प्रधानमंत्री जी! देश के किसानों के साथ ऐसा व्यवहार क्यों? आपने किसानों से जो वादा किया था, उसे पूरा क्यों नहीं करते?”

एक अधिकारी ने यहां कहा कि 13 फरवरी को किसानों के मार्च के मद्देनजर रविवार को राष्ट्रीय राजधानी के उत्तर-पूर्वी जिले में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू की गई है, जो बड़ी संख्या में लोगों के एकत्र होने पर रोक लगाती है।
लगभग 200 कृषि संघों द्वारा आयोजित मार्च के तहत उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब से बड़ी संख्या में किसानों के मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च करने की संभावना है।

पुलिस उपायुक्त (उत्तर-पूर्व) जॉय तिर्की द्वारा जारी एक आदेश के अनुसार, किसानों की मांगें पूरी होने तक दिल्ली की सीमाओं पर उनके धरना देने की संभावना है। इसमें कहा गया है, ”अतीत में विरोध प्रदर्शन के दौरान किसानों ने जिस तरह का व्यवहार और अड़ियल रुख दिखाया है, उसे ध्यान में रखते हुए, किसानों/समर्थकों के अपने-अपने जिलों से ट्रैक्टर/ट्रॉली/हथियारों के साथ दिल्ली की ओर जुटने/गतिविधियां करने की संभावना है। किसान हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और अन्य संभावित क्षेत्रों से भी आएंगे।”इसमें कहा गया है कि क्षेत्र में जानमाल की सुरक्षा के लिए, किसी भी अप्रिय घटना को टालने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए धारा 144 के तहत एहतियाती आदेश जारी करना आवश्यक है।

कई किसान संघों ने अपनी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने वाले कानून की मांग के लिए 13 फरवरी को मार्च करने का आह्वान किया है, यह उन शर्तों में से एक है जो उन्होंने 2021 में केंद्र के तीन कृषि कानूनों (बाद में वापस ले लिये गए) के खिलाफ अपना आंदोलन वापस लेने पर सहमति व्यक्त करते समय निर्धारित की थी। इन किसान संघों में ज्यादातर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब से हैं।

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