नई दिल्ली:  देश के अगले मुख्य न्यायाधीश (Next CJI) जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ आज (शुक्रवार, 17 मई) EVM-VVPAT मामले में एक समीक्षा याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील की दलील पर जस्टिस खन्ना तब भड़क गए, जब वकील ने जज साहब से इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (EVM) में लगे माइक्रो कंट्रोलर चिप पर अपनी बात कहनी चाही लेकिन वकील की बात पर जज साहब नाराज हो गए।

दरअसल, 26 अप्रैल को अपने फैसले में जस्टिस खन्ना और जस्टिस दत्ता ने ईवीएम में दर्ज वोटों का 100 परसेंट वीवीपीएटी पर्चियों के साथ मिलान की मांग को मानने से इनकार कर दिया था और इससे जुड़ी अर्जी खारिज कर दी थी। बेंच के इस फैसले के खिलाफ अरुण कुमार अग्रवाल ने उसी पीठ के समक्ष एक समीक्षा याचिका दायर की थी। समीक्षा याचिका में अग्रवाल ने पीठ के फैसले में हुई तीन त्रुटियों पर फिर से विचार करने का शीर्ष न्यायालय से अनुरोध किया था।

वकील नेहा राठी के माध्यम से दायर समीक्षा याचिका में कहा गया है कि 26 अप्रैल के फैसले में सिम्बल लोडिंग यूनिट्स (SLU) में छेड़छाड़ और उनके ऑडिट की आवश्यकता को नजर अंदाज किया गया है। अग्रवाल ने अपनी याचिका में दावा किया है कि SLU में आवश्यक तस्वीरों से परे अतिरिक्त डेटा की संभावना को अदालत ने नजर अंदाज कर दिया था। आज उसी मसले पर जब वकील ने खंडपीठ के सामने दलील पेश की, तब जस्टिस खन्ना भड़क गए।

इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने अपनी दलील में कहा, “ईवीएम के तीन यूनिट्स का डेटा माइक्रो कंट्रोलर चिप्स में रिकॉर्ड होता है।” तभी जस्टिस दत्ता ने कहा, “क्या मतदाता के लिए पहली पर्ची लाना अनिवार्य है? उसे तो केवल 17ए पर हस्ताक्षर करना है और 7 सेकेंड तक वह वीवीपैट की पर्ची देखना होता है।” इस दौरान केंद्र और चुनमाव आयोग दोनों ने समीक्षा याचिका का विरोध करते हुए कहा कि चुनाव के दौरान मतदाता की गोपनीयता सुनिश्चित करना बड़ा मुद्दा है।

इसके बाद जस्टिस खन्ना ने कहा, “आपने हमारा फैसला नहीं पढ़ा है। मतदान अधिकारी को पता नहीं चल सकता है कि किसने किसे वोट डाला है। वह केवल कुल वोट ही जान सकता है।” तभी वकील ने कहा,” मीलॉर्ड.. मेरा मतलब और सवाल माइक्रो-कंट्रोलर चिप से है।” इतना सुनते ही जस्टिस खन्ना बुरी तरह भड़क गए और बोल पड़े, “बस। बहुत हो गया.. बिना फैसला पढ़े आप आ गए…” इसके बाद बेंच ने समीक्षा याचिका खारिज कर दी।

बता दें कि अपने फैसले में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने एकमत होकर EVM की विश्वसनीयता की पुष्टि की थी और स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए चुनाव आयोग के सुरक्षा उपायों पर प्रकाश डाला था। दोनों जजों ने कहा था कि आम चुनावों की पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाने और केवल आशंकाओं और अटकलों के आधार पर 100 फीसदी वीवीपीएटी पर्ची के मिलान की अनुमति नहीं दे सकते हैं।

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