नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने रविवार यानी 11 अगस्त को होने वाली नीट-पीजी परीक्षा को स्थगित करने से इनकार कर दिा है और इससे जुड़ी याचिका खारिज कर दी है। शीर्ष न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह याचिका दायर करने वाले पांच छात्रों के लिए 2 लाख छात्रों के करियर को खतरे में नहीं डाल सकता। शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (स्नातकोत्तर) (नीट-पीजी) को टालने का आग्रह करने वाली याचिका को खारिज कर दिया। इसमें दावा किया गया था कि अभ्यर्थियों को ऐसे शहर आवंटित किए गए हैं, जहां पहुंचना उनके लिए बेहद असुविधाजनक है।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि न्यायाधीश कोई अकादमिक विशेषज्ञ नहीं हैं। पीठ ने कहा, ‘‘हम ऐसी परीक्षा को कैसे स्थगित कर सकते हैं। श्री संजय हेगड़े, आजकल लोग बस परीक्षा स्थगित करने के लिए कहते हैं। यह संपूर्ण दुनिया नहीं है। हम अकादमिक विशेषज्ञ नहीं हैं।’’
इसने कहा, ‘‘सैद्धांतिक रूप से, हम परीक्षा को पुनर्निर्धारित नहीं करेंगे। दो लाख छात्र और चार लाख माता-पिता हैं जो इसे स्थगित करने पर सप्ताहांत में रोएंगे। हम पांच याचिकाकर्ताओं के लिए दो लाख अभ्यर्थियों के करियर को खतरे में नहीं डाल सकते । हम ऐसा नहीं कर सकते। मेडिकल छात्रों के लिए निश्चितता होनी चाहिए। हम नहीं जानते कि इन याचिकाओं के पीछे कौन है।’’
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने कहा कि नीट-पीजी को पुनर्निर्धारित करने की आवश्यकता है क्योंकि परीक्षा केंद्रों की कमी के कारण अभ्यर्थियों का एक समूह सुबह और दूसरा समूह दोपहर बाद परीक्षा देगा। उन्होंने पीठ से सभी अभ्यर्थियों के लिए एक समान और निष्पक्ष परीक्षा माहौल सुनिश्चित करने के लिए एक ही बैच में परीक्षा आयोजित करने का निर्देश जारी करने का आग्रह किया।
विशाल सोरेन और अन्य द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि अनेक अभ्यर्थियों को ऐसे शहर आवंटित किए गए हैं जहां तक पहुंचना उनके लिए बेहद असुविधाजनक है। इसमें कहा गया कि परीक्षा संबंधी शहर 31 जुलाई को आवंटित किए गए थे और विशिष्ट केंद्र आठ अगस्त को घोषित किए जाएंगे।
याचिका में कहा गया कि केंद्रों का आवंटन कदाचार पर अंकुश लगाने के लिए किया गया, लेकिन समय की कमी के कारण अभ्यर्थियों के लिए विशिष्ट शहरों की यात्रा की व्यवस्था करना मुश्किल है। नीट-पीजी परीक्षा पहले 23 जून को आयोजित होने वाली थी, लेकिन कुछ प्रतियोगी परीक्षाओं में कथित अनियमितताओं के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे ‘‘एहतियाती उपाय’’ के रूप में स्थगित कर दिया था।