जाने माने रेडियो प्रस्तोता अमीन सयानी का 91 वर्ष की आयु में यहां निधन हो गया. उनके बेटे राजिल सयानी ने बुधवार को यह जानकारी दी. सयानी को मंगलवार को दिल का दौरा पड़ा जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका निधन हो गया.
राजिल ने कहा ‘‘कल रात दिल का दौरा पड़ने से उनका एच एन रिलायंस अस्पताल में निधन हो गया. सीने में दर्द की शिकायत के बाद उन्हें कल शाम लगभग छह बजे अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें बचाने की कोशिश की गई लेकिन लगभग सात बजे उनका निधन हो गया.’
उनका अंतिम संस्कार बृहस्पतिवार को किया जाएगा.
रेडियो सुनने का शौक रखने वाले लोगों के कानों में आज भी सयानी की आवाज ‘‘’नमस्कार बहनो और भाइयो, मैं आपका दोस्त अमीन सयानी बोल रहा हूं’’ गूंजती है.
सयानी का यह अभिवादन 1952 से 1988 तक रेडियो सीलोन पर हर बुधवार को अनगिनत घरों में प्रसारित होता था.
मुबंई के एक बहुभाषी परिवार में 21 दिसंबर, 1932 को जन्मे सयानी ने 42 वर्षों में 50,000 से अधिक कार्यक्रमों का संचालन किया और उन्हें अपनी आवाज दी.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सयानी के निधन पर शोक व्यक्त किया.
मुर्मू ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘श्री अमीन सयानी जी का निधन भारत और कई देशों में रेडियो श्रोताओं के लिए एक युग का अंत है. उन्होंने रेडियो कार्यक्रम प्रस्तुत करने की अपनी स्वाभाविक शैली, प्रभावशाली आवाज और अद्वितीय प्रवाह से लोगों के दिलों में एक विशेष जगह बनाई थी.’
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘एक्स’ पर अपने पोस्ट में लिखा, ‘‘रेडियो पर अमीन सयानी की मखमली आवाज में एक आकर्षण और गर्मजोशी थी जिससे उन्होंने हर पीढ़ी के लोगों को अपना बना लिया. अपने काम के जरिए, उन्होंने भारतीय प्रसारण में क्रांति लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अपने श्रोताओं के साथ बहुत ही मधुर संबंध स्थापित किया.’’
उन्होंने कहा, ‘‘उनके निधन से दुखी हूं. उनके परिवार, प्रशंसकों और सभी रेडियो प्रेमियों के प्रति संवेदना. उनकी आत्मा को शांति मिले.’’
सयानी के निधन पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता डेरेक ओब्रायन और कांग्रेस नेता जयराम रमेश जैसे नेताओं ने भी शोक जताया.
रमेश ने कहा कि सयानी की आवाज़ उनके बचपन, किशोरावस्था और युवावस्था का हिस्सा थी.
रमेश ने पोस्ट किया ‘अमीन सयानी, एक प्रतिष्ठित रेडियो हस्ती, राष्ट्रवादियों के एक प्रतिष्ठित परिवार से थे, ऐसे भारत के मूल्यों के प्रतीक थे जो तेजी से लुप्त हो रहा है.’
सयानी को बचपन से ही लिखने का शौक था और महज 13 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने अपनी मां की पाक्षिक पत्रिका ‘रहबर’ के लिए लिखना शुरू कर दिया था. उसी दौरान वह अंग्रेजी भाषा में एक कुशल प्रस्तोता बन गए थे और उन्होंने आकाशवाणी मुंबई की अंग्रेजी सेवा में बच्चों के कार्यक्रमों में भाग लेना शुरू कर दिया था.
बाद में पढ़ाई के लिए वह ग्वालियर चले गए. जब वह मुंबई लौटे तो उन्होंने आकाशवाणी की हिंदी सेवा के लिए ‘ऑडिशन’ दिया, लेकिन उनकी आवाज़ में गुजराती लहजा होने के कारण उनका चयन नहीं हो सका.
जब 1952 में तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री बी वी केसकर ने आकाशवाणी से हिंदी फिल्मों के गानों के प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया तो रेडियो सीलोन लोकप्रिय होने लगा. सयानी को दिसंबर 1952 में रेडियो सीलोन पर ‘बिनाका गीतमाला’ पेश करने का मौका मिला और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
कार्यक्रम को बाद में विविध भारती पर स्थानांतरित कर दिया गया और इसका नाम सिबाका गीतमाला तथा बाद में कोलगेट सिबाका गीतमाला रखा गया.