कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान मंगलवार को पार्टी और असम की भारतीय जनता पार्टी सरकार में उस वक्त टकराव की स्थिति देखने को मिली जब कांग्रेस कार्यकर्ता अवरोधकों को हटाते हुए गुवाहवाटी में दाखिल हुए। इसके बाद असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने राज्य के डीजीपी जी पी सिंह को अवरोधक तोड़ने के लिए भीड़ को उकसाने के आरोप में राहुल गांधी के खिलाफ मामला दर्ज करने का निर्देश दिया। यात्रा में भाग लेने वाले कांग्रेस नेताओं और समर्थकों को गुवाहाटी के मुख्य मार्गों में प्रवेश करने से रोकने के लिए सड़कों पर ये अवरोधक लगाए गए थे।
कांग्रेस समर्थकों ने जब अवरोधक हटाए तो पुलिसकर्मियों के साथ उनकी झड़प हो गई। इस दौरान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेन बोरा और राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देबब्रत सैकिया को चोटें आईं। असम में कांग्रेस की न्याय यात्रा का आज छठा दिन था। बस के ऊपर से लोगों को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस के लोगों ने अवरोधक हटा दिए हैं, लेकिन ‘हम कानून नहीं तोड़ेंगे।’ उन्होंने आरोप लगाया कि पहले भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा को इसी रास्ते यात्रा निकालने की अनुमति दी गई थी, लेकिन कांग्रेस को अनुमति नहीं दी गई।
राहुल गांधी ने अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों को ”बब्बर शेर” करार देते हुए कहा, ”आपको यह नहीं सोचना चाहिए कि हम कमजोर हैं। हमने अवरोधक हटा दिए हैं।” मुख्यमंत्री ने राहुल गांधी के भाषण का एक वीडियो साझा करते हुए ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”प्रमाण सामने आ रहे हैं कि किस प्रकार से राहुल गांधी और जितेंद्र सिंह ने भीड़ को असम पुलिस के जवानों को मारने के लिए भड़काया। हमारे जवान जनता के सेवक हैं, किसी शाही परिवार के नहीं। निश्चिंत रहिए, क़ानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं, आप तक जरूर पहुंचेंगे।”
भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बी.वी. की एक पोस्ट के जवाब में मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा, “मैंने असम पुलिस के महानिदेशक को भीड़ को उकसाने के लिए आपके नेता राहुल गांधी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिया है।”
शर्मा ने कहा कि जिस वीडियो को श्रीनिवास ने अपने अकाउंट पर पोस्ट किया है उसे साक्ष्य के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा, “यह असम की संस्कृति का हिस्सा नहीं है। हम एक शांतिपूर्ण राज्य हैं। इस तरह के नक्सलवादी हथकंडे हमारी संस्कृति से बिल्कुल विपरीत हैं।” शर्मा ने कहा, ‘आपके गैरजिम्मेदाराना आचरण और दिशा-निर्देशों के उल्लंघन की वजह से अब गुवाहाटी की सड़कों पर भारी जाम लग गया।”
मुख्यमंत्री ने पहले कहा था कि यातायात जाम से बचने के लिए यात्रा को शहर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। डीजीपी ने कहा कि उन नेताओं और लोगों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जा रही है जिन्होंने गैरकानूनी गतिविधियों को उकसाया, उनका नेतृत्व किया और उनमें भाग लिया। राज्य में यात्रा के लिए बंदिशें सोमवार को उस समय चरम पर पहुंच गईं थीं जब राहुल गांधी को नौगांव जिले में असम के प्रतिष्ठित वैष्णव संत श्रीमंत शंकरदेव के जन्मस्थान पर जाने से रोक दिया गया था। इसके बाद पड़ोसी मोरीगांव जिले के अधिकारियों ने भी उन्हें सड़क पर नुक्कड़ सभाएं करने और पदयात्रा करने से रोक दिया था।
सोमवार रात मेघालय में रुकी यात्रा आज सुबह असम में फिर से प्रवेश कर गई, लेकिन कांग्रेस नेता ने दावा किया कि केंद्रीय गृह मंत्री के निर्देश पर उन्हें मेघालय में एक निजी विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ बातचीत करने की अनुमति नहीं दी गई। इस बीच, पुलिस महानिदेशक ने बताया कि गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने व उसका नेतृत्व करने और भीड़ को उकसाने वाले नेताओं और अन्य लोगों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
डीजीपी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “मूल योजना के मुताबिक यात्रा को जारी रखने की सलाह दिए जाने के बावजूद कार्यक्रम में भाग लेने वालों ने वरिष्ठ नेताओं के उकसावे पर मार्ग बदलकर जबरदस्ती अपना रास्ता बनाने की कोशिश की, जिसका असम पुलिस ने विरोध किया।” उन्होंने कहा कि यात्रा में शामिल कार्यकर्ताओं ने कुछ अवरोधकों को तोड़ने के लिए बल प्रयोग किया, जिससे कुछ पुलिसकर्मी और आम लोग भी घायल हो गये। जान-माल के खतरे को देखते हुए गुवाहाटी पुलिस ने यात्रा को वापस तय मार्ग पर मोड़ने के लिए मनाया।
अधिकारी ने कहा, “हम आम जनता की सुरक्षा को सुनिश्चित करते हुए यात्रा को सुरक्षित मार्ग प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” उन्होंने कहा, “आयोजकों को फिर से सलाह दी जाती है कि वे आपसी चर्चा के बाद तय किये गये निर्णयों पर ही कायम रहें।” यात्रा को शहर की सीमा में प्रवेश करने से रोकने के लिए दो स्थानों पर अवरोधक लगाए गये थे। पुलिस को कांग्रेस कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए बल प्रयोग भी करना पड़ा।