श्रीनगर: नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि जब तक जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा नहीं मिल जाता, वह तब तक विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘मैं किसी भी चीज के लिए अपनी संभावनाओं की कल्पना नहीं करता। मैं मुख्यमंत्री पद की आकांक्षा नहीं रखता और मैं निश्चित रूप से केंद्र शासित प्रदेश का नेतृत्व करने की आकांक्षा नहीं रखता।’’
उमर ने कहा, ‘‘मैंने यह बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर जिस मौजूदा स्थिति में है, उसमें मैं विधानसभा चुनाव नहीं लड़ रहा हूं। मैं यह बात 2020 से ही कह रहा हूं और मेरे रुख में कोई बदलाव नहीं आया है।’’
अब्दुल्ला परिवार का गढ़ मानी जाने वाली श्रीनगर सीट को छोड़कर बारामूला से चुनाव लड़ने के पीछे के कारण के बारे में पूछे जाने पर तीन बार लोकसभा सदस्य रह चुके नेशनल कांफ्रेंस नेता ने कहा कि आसान रास्ता अपनाना उनकी आदत नहीं है। अब्दुल्ला ने याद किया कि 1984 के लोकसभा चुनाव में अनंतनाग सीट से उनकी दादी अकबर जहां ने चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की थी।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे आज भी याद है कि जब मैं बच्चा था, तब मैंने लोकतंत्र की हत्या के बाद 1984 में अनंतनाग से अपनी दादी के साथ चुनाव प्रचार किया था। उस समय विधायकों को खरीदा गया था, दलबदल कराया गया था और मेरे पिता की सरकार गिरा दी गई थी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरी दादी अनंतनाग से लड़ीं और जीतीं।’’
अब्दुल्ला ने कहा कि बारामूला लोकसभा सीट पर उनकी लड़ाई किसी खास उम्मीदवार के खिलाफ नहीं बल्कि ‘‘केंद्र सरकार और भाजपा की ताकत’’ के खिलाफ है। उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली से सबसे बड़ा हमला जो हम देख रहे हैं वह उत्तरी कश्मीर पर हो रहा है। अप्राकृतिक गठबंधन बनाने की सबसे ज्यादा कोशिश उत्तरी कश्मीर में हो रही है।’’
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ अगर आपको याद हो तो पिछले शुक्रवार को हजरतबल से बाहर निकलते वक्त अपनी पार्टी के नेता अल्ताफ बुखारी ने सज्जाद लोन का जिक्र करते हुए जो कहा वह थोड़ा अपमानजनक था।’’अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘उन्होंने उन्हें दो ‘ईंटों की इमारत’ कहा था। जैसे ही उन्होंने ये शब्द कहे, वरिष्ठ भाजपा नेता तरूण चुघ दौड़ते हुए श्रीनगर आए, सीधे अल्ताफ बुखारी के आवास पर गए और गठबंधन करने के लिए सज्जाद लोन को वहां बुलाया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, मैं किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं लड़ रहा हूं। उत्तरी कश्मीर में मेरी लड़ाई भाजपा के खिलाफ है, यह उस समर्थन के खिलाफ है जो वह जमीन पर लोगों को दे रहा है।’’
अनुच्छेद-370 निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में विकास के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दावों पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मानव विकास के किसी भी पैमाने पर जम्मू-कश्मीर देश के कुछ तथाकथित विकसित राज्यों से कहीं बेहतर है।
उन्होंने कहा, ‘‘उनके अनुसार, नेकां ने कुछ नहीं किया, लेकिन हमने विश्वविद्यालय स्तर तक मुफ्त शिक्षा दी। क्या आप इससे इनकार कर सकते हैं? हमने अपने ऐतिहासिक भूमि सुधारों में बिना कोई मुआवजा लिए लोगों को जमीन सौंप दी, जिसे देश में कहीं भी दोहराया नहीं गया है।’’ .
अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर आज देश में एकमात्र ऐसी जगह है जहां दलित अपना सिर ऊंचा करके चल सकते हैं क्योंकि वे जमीन के मालिक हैं। क्या हम इसे भूल सकते हैं? जम्मू-कश्मीर में गरीबी का स्तर देश में सबसे निम्न है। आखिरी बार आपने कब सुना था कि जम्मू-कश्मीर में कोई भूख से मर गया।’’
अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में निर्वाचित सरकारों द्वारा शुरू की गई अस्पतालों और विश्वविद्यालयों जैसी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का भी उल्लेख किया।
उन्होंने कहा, ‘‘यह रेलवे परियोजना जिसका वे जिक्र कर रहे हैं, कितने प्रधानमंत्रियों ने इसकी आधारशिला रखी है। इसे दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शुरू किया था, जब काम शुरू हुआ तो मैं स्कूल में था, शर्म करो।’’
सुरक्षा के हालात पर पूर्व मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया कि पथराव की घटनाओं में कमी आई है लेकिन साथ ही कहा कि आतंकवाद अब भी है क्योंकि आतंकवादी हमले हो रहे हैं।
अब्दुल्ला ने सवाल किया, ‘‘अगर सब कुछ सामान्य था, तो हमने संसद और विधानसभा के लिए एक साथ चुनाव क्यों नहीं कराए? उन्होंने क्या कारण बताए? उन्होंने कहा कि उनके पास पर्याप्त सुरक्षा बल नहीं हैं।’’
उन्होंने विरोध प्रदर्शनों में कमी पर कहा कि अगर अलगाववाद का समर्थन करने वालों का दिल बदल गया होता तो यह एक अच्छा विकास होता।
अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘मैं तब सामान्य स्थिति का दावा करूंगा जब यह सब अपनी मर्जी से हो रहा हो, जब आप उन लोगों को बदल दें जो भारत के हितों के खिलाफ थे और अब वे देश के लिए हों।’’
जब उनसे पूछा गया कि कश्मीर में लोकसभा सीट पर छद्म प्रतिनिधियों का समर्थन करने के बजाय क्या भाजपा अपने उम्मीदवार खड़ी करेगी तो अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘उन्हें अपने उम्मीदवार खड़ा करने दीजिए, मैं उन्हें अपने उम्मीदवार खड़ा करने के लिए प्रेरित करने की कोशिश कर रहा हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं जानना चाहता हूं कि वे क्यों डरते हैं… वे बड़े नेताओं को लगभग शून्य कर रहे हैं। हमारे खिलाफ उनके हालिया हमलों के बावजूद, मुझे गुलाम नबी आजाद के प्रति बहुत सहानुभूति है। वह कांग्रेस में एक राष्ट्रीय नेता थे।’’
अब्दुल्ला ने कहा कि आजाद को एक संसदीय क्षेत्र का नेता बनाकर रख दिया गया है।