कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य एवं सांसद शशि थरूर ने चुनावों में युवाओं को अवसर प्रदान करने की वकालत की। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि आगमी आम चुनाव में वह तिरुवनंतपुरम सीट से आखिरी बार मैदान में उतर सकते हैं। गुरुवार को तिरुवनंतपुरम में कांग्रेस के एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बातचीत में लोकसभा सदस्य थरूर ने, हालांकि कहा कि इस बारे में कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सकता, क्योंकि यह राजनीति है।
उन्होंने कहा, ”मेरा मानना है कि एक समय आता है जब युवाओं के लिए जगह बनानी होती है और यही मेरी सोच है।” इसके साथ ही थरूर ने यह भी कहा, ”राजनीति में एक और नारा है ‘कभी न मत कहो’।”
वह हाल में एक टेलीविजन कार्यक्रम के दौरान की गई उनकी टिप्पणी को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कार्यक्रम में बार-बार कहा था कि 2024 के लोकसभा चुनाव में तिरुवनंतपुरम निर्वाचन क्षेत्र से उनकी लड़ाई अंतिम हो सकती है। थरूर ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा, ”मैंने यह नहीं कहा कि ‘कभी नहीं’, मैंने कहा कि मुझे लगता है कि यह मेरा आखिरी चुनाव होगा।”
कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर वह तिरुवनंतपुरम से चुनाव लड़ेंगे, तो वह इसे ऐसे लड़ेंगे, जैसे यह उनका आखिरी चुनाव हो, पूरे जोश के साथ, लोगों के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करेंगे। एक दशक पहले राजनीति में प्रवेश करने वाले थरूर ने 2009 के आम चुनाव में केरल के तिरुवनंतपुरम सीट से शानदार जीत हासिल की थी और सांसद के तौर पर अपने सियासी करियर की शुरुआत की थी।
अपनी पहली चुनावी लड़ाई में थरूर ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सीपीआई के पी रामचंद्रन नायर पर 95,000 से अधिक वोटों के बड़े अंतर से जीत हासिल की थी। इस सफलता के बाद उन्होंने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में निर्णायक जीत के साथ इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा।
अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने से पहले, थरूर ने संयुक्त राष्ट्र के साथ काम किया और 2006 में संयुक्त राष्ट्र महासचिव पद के लिए आधिकारिक उम्मीदवार के रूप में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। वह इस पद की दौड़ में सात उम्मीदवारों में से दूसरे स्थान पर रहे थे।