भारत की चार अंतरिक्ष स्टार्टअप कंपनियां सोमवार से शुरू हो रहे इसरो के पीएसएलवी-सी58 मिशन पर उपग्रहों को उनकी वांछित कक्षाओं में रखने वाली सूक्ष्म उपग्रह उप प्रणाली (माइक्रोसैटेलाइट सबसिस्टम), प्रक्षेपक (थ्रस्टर) या छोटे इंजन और उपग्रहों को विकिरण से बचाने वाली कोटिंग जैसी खूबियों को दर्शाने के लिए अपने अंतरिक्ष उपकरण (पेलोड) को शुरू करने की तैयारी में हैं।
हैदराबाद की ‘ध्रुव स्पेस’ पीएसएलवी-सी58 मिशन के लिए लॉन्चिंग एक्सपीडिशन फॉर एस्पायरिंग पेलोड -टेक्नोलॉजी डेमोन्स्ट्रेटर (LEP-TD) अंतरिक्ष उपकरण के हिस्से के रूप में कक्षा में पी-30 नैनोसैटेलाइट प्लेटफॉर्म और इसकी विभिन्न उप-प्रणालियों की कार्यक्षमता और ढृढता को प्रमाणित करेगा। पीएसएलवी-सी58 के साथ एक्स-रे पोलरिमेट्री सैटेलाइट (एक्सपीओएसएटी) उपग्रह को प्रेक्षपित किया जाएगा।
ध्रुव स्पेस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजय नेककांती ने कहा, ‘ध्रुव स्पेस की LEP-TD पहल हमारे लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है, जो हमें हमारे ग्राहकों को पूर्व रूप से विकसित अंतरिक्ष उपकरण समाधान प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। यह पृथ्वी अवलोकन और अन्य क्षेत्रों में नए प्रयासों से और भी समृद्ध होगा।’
अंतरिक्ष-प्रौद्यिगकी स्टार्ट-अप और अन्य अनुसंधान संस्थानों के अंतरिक्ष उपकरणों को पीएसएलवी रॉकेट के चौथे चरण पर रखा जाएगा, जिन्हें विभिन्न प्रयोगों को अंजाम देने के लिए पृथ्वी की निचली कक्षा में रखा जाएगा। बेंगलुरु की बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस हॉल थ्रस्टर्स के लिए अपने रुद्र 0.3 एचपीजीपी और एआरकेए-200 का परीक्षण करेगा। रुद्र 0.3 एचपीजीपी एक हरित मोनोप्रोपेलेंट थ्रस्टर है जबकि एआरकेए-200 एक हीटर-लेस होलो कैथोड है।
मुंबई की इंस्पेसिटी स्पेस लैब्स प्राइवेट लिमिटेड ग्रीन इंपल्स ट्रांसमिटर (जीआईटीए) का परीक्षण करेगी, जो एक ग्रीन बाइप्रोपेलेंट क्यूबसैट प्रोपल्शन इकाई है। इस कंपनी के संस्थापक अरिंदरजीत चौधरी हैं।
हैदराबाद की टेकमीटूस्पेस, अपने रेडिएशन शील्डिंग एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल (आरएसईएम) का परीक्षण करेगा, जिसे टैंटलम कोटिंग की प्रभावशीलता का आकलन करने के लिए डिजाइन किया गया है और यह क्यूबसैट के जीवनकाल को बढ़ाने में मदद करता है।